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गुरुवार, 17 नवंबर 2011

सफलता पाने हेतु विश्राम से प्राणऊर्जा कैसे बढ़ाएं?



तभी तो योगासन के बाद शवासन कराया जाता है। अन्ततोगत्वा सारी ध्यान विधियाँ विश्राम की ही विधियाँ है। नींद विश्राम का ही एक उपाय है। हम सोने पर तरोताजा होते है। मोक्ष भी एक प्रकार से विश्राम की ही अवस्था का दूसरा नाम है।
प्राण ऊर्जा प्राप्त करने का तीसरा सबसे बड़ा स्रोत विश्राम है। हम विश्राम के द्वारा ही स्वयं को संतुलित एवं समायोजित करते है। हम खोई हुई ऊर्जा की प्राप्ति विश्राम से ही करते है। कार्य के दौरान् विश्राम जरुरी है। विश्राम के दौरान् हम अपनी ऊर्जा को संरक्षित व सुरक्षित करते है।

तभी तो योगासन के बाद शवासन कराया जाता है। अन्ततोगत्वा सारी ध्यान विधियाँ विश्राम की ही विधियाँ है। नींद विश्राम का ही एक उपाय है। हम सोने पर तरोताजा होते है। मोक्ष भी एक प्रकार से विश्राम की ही अवस्था का दूसरा नाम है।
विश्राम के उपाय:

 कार्य के दौरान भी विश्राम करना आना चाहिये । हम तनाव से ग्रस्त न हों और पूरे दिन काम करने की क्षमता बनी रहे इसके लिए उचित अनुपात में विश्राम जरुरी है। हमारा शरीर और दिमाग अपनी पूरी सामथ्र्य शक्ति तक ठीक ढंग से काम कर पाए इसके लिए सही अनुपात में विश्राम बहुत जरुरी है।इसलिए क्रियाशीलता और विश्राम के बीच एक सही संतुलन बनाए रखना बेहद जरुरी है। हमारा ह्नदय प्रत्येक धड़कन के बाद विश्राम करता है, तभी यह अनेक वर्षों तक हमें जीवित रखता है।नेपोलियन युद्ध के मैदान में भी घोड़े पर बैठे-बैठे विश्राम कर लेता था। तभी वह सबसे बड़ा योद्धा हुआ है। महात्मा गांधी भी दस-पन्द्रह मिनट की नींद लेकर ताजा हो जाते थे।
  •  नींद विश्राम का सबसे बडा स्रोत है । गहरी नींद उसके लिये जरूरी है ।अतः आवश्यक नींद लें ।
  •  प्रकृति के साथ समय बितायें । खुले में शान्ति से धूमे ।
  •  रूचिप्रद कार्य करें ताकि थकान न लगें ।
आज बहुत बड़ी विडम्बना है कि भागदौड भरी जिन्दगीं में मनुष्य विश्राम करना भूल गया है। जल्दबाजी भी विश्राम की शत्रु हैै। आज के अस्सी प्रतिशत व्यक्ति जल्दबाजी के कारण तनाव ग्रस्त है और उसके कारण विश्राम नहीं कर पाते है , उल्टा तनाव बढ जाता है । अतः विश्राम के लिये योजना बना कर समय निकालें । जीवन को उर्जावान बनाये रखनें हेतू इसे प्राथमिकता दें ।

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