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मंगलवार, 27 सितंबर 2011

घरेलु मगर कारगर नुस्के


ब्यूटी को निखारे एलोवेरा से
एलोवेरा भारत में ग्वारपाठा या घृतकुमारी हरी सब्जी के नाम से प्राचीनकाल से जाना जाने वाला कांटेदार पत्तियों वाला पौधा है, जिसमें रोग निवारण के गुण कूट-कूट कर भरे पड़े हैं। आयुर्वेद में इसे घृतकुमारी की 'उपाधि' मिली हुई है तथा महाराजा का स्थान दिया गया है। औषधि की दुनिया में इसे संजीवनी भी कहा जाता है। इसकी 200 जातियां होती हैं, परंतु प्रथम 5 ही मानव शरीर के लिए उपयोगी हैं।
इसकी बारना डेंसीस नाम की जाति प्रथम स्थान पर है। इसमें 18 धातु, 15 एमीनो एसिड और 12 विटामिन मौजूद होते हैं। इसकी तासीर गर्म होती हैं। यह खून की कमी को दूर करता है तथा शरीर की रोग-प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाता है। यह खाने में बहुत पौष्टिक होता है। इसे त्वचा पर लगाना भी उतना ही लाभप्रद होता है। इसकी कांटेदार पत्तियों को छीलकर एवं काटकर रस निकाला जाता है। 3-4 चम्मच रस सुबह खाली पेट लेने से दिन-भर शरीर में शक्ति व चुस्ती-स्फूर्ति बनी रहती है।
जलने पर, अंग कहीं से कटने पर, अंदरूनी चोटों पर एलोवेरा अपने एंटी बैक्टेरिया और एंटी फंगल गुण के कारण घाव को जल्दी भरता है। यह रक्त में शर्करा के स्तर को बनाए रखता है। बवासीर, डायबिटीज, गर्भाशय के रोग, पेट की खराबी, जोड़ों का दर्द, त्वचा की खराबी, मुंहासे, रूखी त्वचा, धूप से झुलसी त्वचा, झुर्रियों, चेहरे के दाग-धब्बों, आंखों के काले घेरों, फटी एडियों के लिए यह लाभप्रद है। इसका गूदा या जैल निकालकर बालों की जड़ों में लगाना चाहिए। बाल काले, घने-लंबे एवं मजबूत होंगे।
यह मच्छर से भी त्वचा की सुरक्षा करता है। आजकल सौन्दर्य निखार के लिए हर्बल कॉस्मेटिक प्रोडक्ट के रूप में बाजार में एलोवेरा जैल, बॉडी लोशन, हेयर जैल, स्किन जैल, शैंपू, साबुन, फेशियल फोम, और ब्यूटी क्रीम में हेयर स्पा में ब्यूटी पार्लरों में धड़ल्ले से प्रयोग हो रहा है। कम से कम जगह में, छोटे-छोटे गमले में एलोवेरा आसानी से उगाया जा सकता है।
एलोवेरा जैल या ज्यूस मेहंदी में मिलाकर बालों में लगाने से बाल चमकदार व स्वस्थ होंगे। एलोवेरा के कण-कण में सुंदर एवं स्वस्थ रहने के कई-कई राज छुपे पड़े हैं। यह संपूर्ण शरीर का कायाकल्प करता है। बस, जरूरत है तो रोजमर्रा की व्यस्त जिंदगी से थोड़ा सा समय अपने लिए चुराकर इसे अपनाने का। मसालों में दवा
भारतीय आदमी विदेश में जाकर बस जाए, तो उसे भारतीय मसालों की याद तो आती ही है। स्वामी विवेकानंद भी जब विदेश में जाकर भारतीय धर्म-संस्कृति से विदेशियों को परिचित करवा रहे थे, तब वह भारत में अपने शिष्यों को मसाले भेजने के लिए लिखते थे।
भारत से अमेरिका गए कुछ भारतीय चिकित्सा वैज्ञानिकों को भी मसाले याद आए हैं, लेकिन दूसरे संदर्भ में। चेन्नई में चल रही भारतीय विज्ञान कांग्रेस में आए कुछ वैज्ञानिकों ने बताया है कि उन्हें कुछ मसालों में कैंसर को रोकने के गुण मिले हैं। इस तरह के शोध करने में भारतीय मूल के वैज्ञानिक सबसे आगे हैं, उसके बाद चीनी और कोरियाई।
हल्दी में वैज्ञानिकों ने क्यूरक्यूसिन नामक रसायन ढूंढ़ा है, जिसका प्रयोग चूहों पर सफल रहा है और इंसानों पर भी प्रारंभिक प्रयोगों में अच्छी सफलता मिली है। इसी तरह एक और टीम ने केसर से भी एक रसायन अलग किया है, जिसका नाम क्रोसेटीन है और वह पैंक्रियाज के कैंसर में काफी कारगर साबित हो सकता है। इसका पशुओं पर प्रयोग सफल रहा है और इंसानों पर प्रयोग शुरू होने जा रहे हैं।
इसी तरह लहसुन भी कैंसर के इलाज में कारगर हो सकता है। कैरेबियन्स में पाई जाने वाली एक तरह की गोल मिर्च से भी कैंसररोधी रसायन निकाला गया है।
कैंसर के प्रभावी इलाज के लिए अनेक स्तरों पर प्रयोग चल रहे हैं और इन प्राकृतिक मसालों से निकले रसायनों से खास उम्मीद इसलिए भी है कि इनके लंबे वक्त तक इस्तेमाल के कोई दुष्परिणाम नहीं होते, आखिरकार शताब्दियों से इनका इस्तेमाल खाने में हो रहा है। कैंसररोधी जो दवाएं इन दिनों उपलब्ध हैं, वे कुछ किस्म के कैंसरों में काफी कारगर हैं, बशर्ते कि कैंसर बहुत फैल न गया हो।
इन दवाओं के साथ समस्या यह है कि ये बहुत महंगी हैं, इन्हें बहुत दिन खाना पड़ता है और इनके दुष्परिणाम काफी ज्यादा होते हैं, कभी-कभी मरीज को रोग से जितनी तकलीफ होती है, उससे ज्यादा दवाओं से होती है। अगर घरेलू मसालों से प्रभावी दवाएं बन सकीं, तो शायद वे इतनी महंगी न हों और मरीज के लिए उन्हें खाना इतना तकलीफदेह न हो।
हमारे यहां यह माना जाता है कि तमाम मसालों में कुछ न कुछ औषधीय गुण हैं और इसीलिए आयुर्वेदिक और यूनानी दवाओं में इन सबका इस्तेमाल होता है। आधुनिक चिकित्सा विज्ञान या जिसे आम भाषा में एलोपैथी कहते हैं, इसमें भी कुछ साल पहले तक ज्यादातर दवाएं यूरोप या अमेरिका में मिलने वाली जड़ी-बूटियों या मसालों से ही बनती थीं।
रसायन शास्त्र के विकास के साथ प्रयोगशालाओं में कृत्रिम रसायन बनाना शुरू हुआ, जिन्हें थोड़े-बहुत फेरबदल से ज्यादा प्रभावशाली बनाया जा सकता था, लेकिन चिकित्सा विज्ञान का आधार तो प्रकृति में पाए जाने वाले तत्व ही हैं, इसलिए वैज्ञानिक बार-बार प्रेरणा के लिए प्रकृति के पास जाते हैं।
मसालों का इस्तेमाल इसीलिए सिर्फ स्वाद बढ़ाने के लिए नहीं, बल्कि उनके औषधिक गुणों के लिए भी होता है। इनका ज्ञान पीढ़ियों से संचित होकर हम तक पहुंचा है और अब विज्ञान के विकास ने यह संभव बनाया है कि हम ज्यादा प्रभावी ढंग से उनका इस्तेमाल अपने स्वास्थ्य के लिए कर सकें। अगर विदेश में बसे वैज्ञानिक मसालों के स्वाद और गंध ही नहीं याद कर रहे हैं, उनके औषधिक गुणों को भी परख रहे हैं, तो इससे अच्छा भला और क्या होगा।

हल्दी: हेल्थ भी ब्यूटी भी

पेट में कीड़े होने पर 1 चम्मच हल्दी पाउडर रोज सुबह खाली पेट एक सप्ताह तक ताजा पानी के साथ लेने से कीड़े खत्म हो सकते हैं। चाहें तो इस मिश्रण में थोड़ा नमक भी मिला सकते हैं। इससे भी फायदा होगा।
चेहरे के दाग-धब्बे और झाइयाँ हटाने के लिए हल्दी और काले तिल को बराबर मात्रा में पीसकर पेस्ट बनाकर चेहरे पर लगाएँ।
हल्दी-दूध का पेस्ट लगाने से त्वचा का रंग निखरता है और आपका चेहरा खिला-खिला लगता है।
खाँसी होने पर हल्दी की छोटी गाँठ मुँह में रख कर चूसें। इससे खाँसी नहीं उठती।
त्वचा से अनचाहे बाल हटाने के लिए हल्दी पाउडर को गुनगुने नारियल तेल में मिलाकर पेस्ट बना लें। अब इस पेस्ट को हाथ-पैरों पर लगाएँ।
इसे त्वचा मुलायम रहती है और शरीर के अनचाहे बाल भी धीरे-धीरे हट जाते हैं।
सनबर्न की वजह से त्वचा झुलसने या काली पड़ने पर हल्दी पाउडर, बादाम चूर्ण और दही मिलाकर प्रभावित स्थान पर लगाएँ। इससे त्वचा का रंग निखर जाता है और सनबर्न की वजह से काली पड़ी त्वचा भी ठीक हो जाती है। यह एक तरह से सनस्क्रीन लोशन की तरह काम करता है।


अखरोट : अचूक औषिध

बच्चे को बहुत ज्यादा कृमि हो गए हों तो उसे रोज एक अखरोट की गिरी खिलाएँ। इससे सारे कृमि मल के रास्ते बाहर आ जाते हैं।
छिलके और गिरी सहित अखरोट को बारीक पीस लें। रोज सुबह-शाम ठंडे पानी के साथ लगातार 15 दिनों तक एक-एक चम्मच लें। पथरी मूत्र मार्ग से बाहर आ जाती है।
अखरोट का तेल लगाने से दाद-खाज में बहुत फायदा मिलता है।
बच्चे की बिस्तर गीला करने की आदत छुड़ाने के लिए बच्चे को रोज सोने से पहले दो अखरोट और 15 किशमिश खिलाएँ। 15 दिन यह प्रयोग कर के देखें बच्चे की आदत अपने आप छूट जाएगी।
इसको खाने से नर्वस सिस्टम को फायदा और दिमाग को तरावट मिलती है।
अखरोट के साथ कुछ बादाम और मुनक्के खाने व इसके ऊपर दूध पीने से वृद्धों को बहुत फायदा मिलता है।
अखरोट खाने में थोड़ी सावधानी रखना चाहिए। चूँकि अखरोट गर्मी करता है और कफ बढ़ाता है इसलिए एक बार में 5 से ज्यादा अखरोट न खाएँ।
ज्यादा अखरोट खाने से पित्त बढ़ने की संभावना रहती है। जिससे मुँह में छाले, गले में खुश्की या खुजली और अजीर्ण होने की संभावना रहती है।

 डायबिटीज का इलाज
गुड़हल के लाल फूल की 25 पत्तियाँ नियमित खाएँ।
सदाबहार के पौधे की पत्तियों का सेवन करें।
काँच या चीनी मिट्टी के बर्तन में 5-6 भिंडियाँ काटकर रात को गला दीजिए, सुबह इस पानी को छानकर पी लीजिए।
पत्तियों से बालों की खूबसूरती मैथीदाना, गुड़हल और बेर की पत्तियाँ पीसकर पेस्ट बना लें। इसे 15 मिनट तक बालों में लगाएँ। इससे आपके बालों की जड़ें मजबूत होंगी और स्वस्थ भी।
मेहँदी की पत्तियाँ, बेर की पत्तियाँ, आँवला, शिकाकाई, मैथीदाने और कॉफी को पीसकर शैम्पू बनाएँ। इससे बाल चमकदार और घने होंगे।
डेंड्रफ की समस्या से निजात पाने के लिए नींबू और आँवले का सेवन करें और लगाएँ।
कैल्शियम, आयरन की पूर्ति के लिए सतावरी के कंद का पावडर बनाकर आधा चम्मच दूध के साथ नियमित लें, इससे कैल्शियम की कमी नहीं होगी।
आयरन बढ़ाने के लिए पालक, टमाटर और गाजर खाएँ।
बुद्घि तीव्र करने के लिए अश्वगंधा-100 ग्राम, सतावरी पावडर- 100 ग्राम, शंखपुष्पी पावडर-100 ग्राम, ब्राह्मी पावडर- 50 ग्राम मिलाकर शहद या दूध के साथ लेने से बच्चों की बुद्धि तीव्र होती है।

धनिया के आसान घरेलू इलाज 
नेत्र रोग : आँखों के लिए धनिया बड़ा गुणकारी होता है। थोड़ा सा धनिया कूट कर पानी में उबाल कर ठंडा कर के, मोटे कपड़े से छान कर शीशी में भर लें। इसकी दो बूँद आँखों में टपकाने से आँखों में जलन, दर्द तथा पानी गिरना जैसी समस्याएँ दूर होती हैं।
नकसीर : हरा धनिया 20 ग्राम व चुटकी भर कपूर मिला कर पीस लें। सारा रस निचोड़ लें। इस रस की दो बूँद नाक में दोनों तरफ टपकाने से तथा रस को माथे पर लगा कर मलने से खून तुरंत बंद हो जाता है।
गर्भावस्था में जी घबराना : गर्भ धारण करने के दो-तीन महीने तक गर्भवती महिला को उल्टियाँ आती है। ऐसे में धनिया का काढ़ा बना कर एक कप काढ़े में एक चम्मच पिसी मिश्री मिला कर पीने से जी घबराना बंद होता है।
पित्ती : शरीर में पित्ती की तकलीफ हो तो हरे धनिये के पत्तों का रस, शहद और रोगन गुल तीनों को मिला कर लेप करने से पित्ती की खुजली में तुरंत आराम होता है।
प्याज के घरेलू नुस्खे -1  
बारह ग्राम प्याज के टुकड़े एक किलोग्राम पानी में डालकर काढ़ा बनाकर दिन में तीन बार नियमित रूप से पिलाने से पेशाब संबंधी कष्ट दूर हो जाते हैं। इससे पेशाब खुलकर तथा बिना कष्ट आने लगता है।
खाँसी, साँस, गले तथा फेफड़े के रोगों के लिए व टांसिल के लिए प्याज को कुचलकर नसवार लेना फायदेमंद होता है। जुकाम में भी प्याज की एक गाँठ का सेवन लाभदायक होता है।
पीलिया के निदान में भी प्याज सहायक होता है। इसके लिए आँवले के आकार के आधा किलो प्याजों को बीच में से चीर कर सिरके में डाल दीजिए। जरा सा नमक और कालीमिर्च भी डाल दीजिए। प्रतिदिन सुबह-शाम एक प्याज खाने से पीलिया दूर होगा।
प्याज को बारीक पीसकर पैरों के तलुओं में लेप लगाने से लू के कारण होने वाले सिरदर्द में राहत मिलती है।
अदरक एक, फायदे अनेक

अदरक खाने के टेस्ट को बेहतर बनाने के साथ-साथ पाचन क्रिया को भी दुरुस्त रखता है। इसे रसोई के साथ-साथ दवाई के तौर पर भी इस्तेमाल किया जाता है। आइए जानते हैं अदरक की खूबियों के बारे में :
अदरक को सदियों से सेहत की बेहतरी के लिए इस्तेमाल किया जाता है। यह ना सिर्फ एक बेहतरीन दवाई है, बल्कि इसका रसोई में भी बखूबी इस्तेमाल किया जाता है। अदरक न सिर्फ हमारे पाचन तंत्र को बेहतर रखता है, बल्कि कब्ज और डायरिया जैसी बीमारियों से भी बचाव करता है। आइए जानते हैं अदरक की कुछ और खूबियों के बारे में -

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अपनी गर्म तासीर की वजह से अदरक हमेशा से सर्दी-जुकाम की बेहतरीन दवाई मानी गई है। अगर आपको सर्दी या जुकाम की प्रॉब्लम है, तो आप इसे चाय में उबालकर या फिर सीधे शहद के साथ ले सकते हैं। साथ ही, हार्ट बर्न की परेशानी भी दूर करता है।

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बहुत कम लोग जानते हैं कि अदरक एक नेचरल पेन किलर है, इसलिए इसे आर्थराइटिस और दूसरी बीमारियों में उपचार के तौर पर इस्तेमाल किया जाता है।

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पिछले दिनों आई एक स्टडीज के मुताबिक अदरक कोलेस्ट्रॉल को भी कंट्रोल करता है। दरअसल, यह कोलेस्ट्रॉल को बॉडी में एब्जॉर्व होने से रोकता है।

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कैंसर में भी अदरक बेहतरीन दवाई मानी गई है। खासतौर पर ओवेरियन कैंसर में यह काफी असरदार है।
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मॉर्निंग सिकनेस को दूर करने में यह विटामिन बी 6 की तरह प्रभावशाली है।
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अदरक को मेडिकल फील्ड में दवाई के तौर पर भी इस्तेमाल किया जाता है।
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यह हमारे पाचन तंत्र को फिट रखता है और अपच दूर करता है।
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अदरक के इस्तेमाल से ब्लड सर्कुलेशन ठीक रहता है।
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अदरक के इस्तेमाल से खून में क्लॉट नहीं बनते। साथ ही मसल्स और ब्लड वैसल्स को भी रिलैक्स मिलता है।
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अदरक खाने से मुंह के हानिकारक बैक्टीरिया भी मर जाते हैं।

दाँत दर्द के घरेलू नुस्खे 
10 ग्राम बायविडंग और 10 ग्राम सफेद फिटकरी थोड़ी कूटकर तीन किलो पानी में उबालें। एक किलो बचा रहने पर छानकर बोतल में भरकर रख लें। तेज दर्द में सुबह तथा रात को इस पानी से कुल्ला करने से दो दिन में ही आराम आ जाता है। कुछ अधिक दिन कुल्ला करने से दाँत पत्थर की तरह मजबूत हो जाते हैं।

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अमरूद के पत्ते के काढ़े से कुल्ला करने से दाँत और दाढ़ की भयानक टीस और दर्द दूर हो जाता है। प्रायः दाढ़ में कीड़ा लगने पर असहय दर्द उठता है। काढ़ा तैयार करने के लिए पतीले में पानी डालकर उसमें अंदाज से अमरूद के पत्ते डालकर इतना उबालें कि पत्तों का सारा रस उस पानी में मिल जाए और वह पानी उबाले हुए दूध की तरह गाढ़ा हो जाए।

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दाँत-दाढ़ दर्द में अदरक का टुकड़ा कुचलकर दर्द वाले दाँत के खोखले भाग में रखकर मुँह बंद कर लें और धीरे-धीरे रस चूसते रहें। फौरन राहत महसूस होगी।

आलू से घरेलू चिकित्सा  

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रक्तपित्त बीमारी में कच्चा आलू बहुत फायदा करता है।

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कभी-कभी चोट लगने पर नील पड़ जाती है। नील पड़ी जगह पर कच्चा आलू पीसकर लगाएँ ।

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शरीर पर कहीं जल गया हो, तेज धूप से त्वचा झुलस गई हो, त्वचा पर झुर्रियां हों या कोई त्वचा रोग हो तो कच्चे आलू का रस निकालकर लगाने से फायदा होता है।

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भुना हुआ आलू पुरानी कब्ज और अंतड़ियों की सड़ांध दूर करता है। आलू में पोटेशियम साल्ट होता है जो अम्लपित्त को रोकता है।

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चार आलू सेंक लें और फिर उनका छिलका उतार कर नमक, मिर्च डालकर नित्य खाएँ। इससे गठिया ठीक हो जाता है।

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गुर्दे की पथरी में केवल आलू खाते रहने पर बहुत लाभ होता है। पथरी के रोगी को केवल आलू खिलाकर और बार-बार अधिक पानी पिलाते रहने से गुर्दे की पथरियाँ और रेत आसानी से निकल जाती हैं।

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उच्च रक्तचाप के रोगी भी आलू खाएँ तो रक्तचाप को सामान्य बनाने में लाभ करता है।

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आलू को पीसकर त्वचा पर मलें। रंग गोरा हो जाएगा।

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कच्चा आलू पत्थर पर घिसकर सुबह-शाम काजल की तरह लगाने से 5 से 6 वर्ष पुराना जाला और 4 वर्ष तक का फूला 3 मास में साफ हो जाता है।

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आलू का रस दूध पीते बच्चों और बड़े बच्चों को पिलाने से वे मोटे-ताजे हो जाते हैं। आलू के रस में मधु मिलाकर भी पिला सकते हैं।

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आलुओं में मुर्गी के चूजों जितना प्रोटीन होता है, सूखे आलू में 8.5 प्रतिशत प्रोटीन होता है। आलू का प्रोटीन बूढ़ों के लिए बहुत ही शक्ति देने वाला और बुढ़ापे की कमजोरी दूर करने वाला होता है।

पेट में कीड़े होने का घरेलू इलाज
छांव में सुखाए हुए अनार के पत्तों को महीन पीसकर सुबह खाली पेट ताजा पानी से लें। पेट के सभी प्रकार के कीड़ों की अच्छी दवा है।
अखरोट की छाल का काढ़ा 60 से 80 ग्राम की मात्रा में दो-तीन दिन पीने से पेट के कीड़े मर जाते हैं।
अनार के पत्तों का रस निकालकर रोज 2 से 10 ग्राम तक सेवन करें। इससे समस्त कृमि नष्ट हो जाते हैं।
आधा लीटर पानी में 15 ग्राम जीरा डालकर उबालें। जब 100 ग्राम के लगभग पानी रह जाए, तो पी जाएं। सुबह खाली पेट यह नुस्खा अमल में लाएं, पेट के कीड़े मर जाएंगे।

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